न्याय का सिद्धांत (Nyay Ka Siddhanth)

Price: 1195.00 

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ISBN:

9780190131487

Publication date:

03/10/2022

Paperback

624 pages

228x150mm

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9780190131487

Publication date:

03/10/2022

Paperback

624 pages

जॉन रॉल्स & कमल नयन चौबे (प्रस्तावना एवं अनुवाद)

यह पुस्तक बीसवीं सदी में राजनीतिक दर्शन की महानतम कृतियों में से एक है। यह पुस्तक, जिसमें राजनीतिक दर्शन में हस्तक्षेप किया और विमर्श की दिशा को बदल दिया। जिसमें मानवीय राजनीतिक दर्शन के सिद्धांतकारों ने अपने सिद्धांतों से या तो सहमति किया या असहमति। लेकिन रॉल्स के बाद का कोई भी राजनीतिक सिद्धांतकार उनकी इस रचना का अनदेखा न कर सका। रॉल्स के बाद होने वाले राजनीतिक सिद्धांतकारों पर इस पुस्तक का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इस तरह यह पुस्तक आधुनिक नैतिकतावादी दृष्टिकोण से न्याय और समानता पर आधारित विमर्श को कई भाषाओं में प्रेरित करती है।

Rights:  World Rights

जॉन रॉल्स & कमल नयन चौबे (प्रस्तावना एवं अनुवाद)

Description

यह पुस्तक बीसवीं सदी में राजनीतिक दर्शन की महानतम कृतियों में से एक है। यह पुस्तक, जिसमें राजनीतिक दर्शन में हस्तक्षेप किया और विमर्श की दिशा को बदल दिया। जिसमें मानवीय राजनीतिक दर्शन के सिद्धांतकारों ने अपने सिद्धांतों से या तो सहमति किया या असहमति। लेकिन रॉल्स के बाद का कोई भी राजनीतिक सिद्धांतकार उनकी इस रचना का अनदेखा न कर सका। रॉल्स के बाद होने वाले राजनीतिक सिद्धांतकारों पर इस पुस्तक का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इस तरह यह पुस्तक आधुनिक नैतिकतावादी दृष्टिकोण से न्याय और समानता पर आधारित विमर्श को कई भाषाओं में प्रेरित करती है।

रॉल्स की अन्य पुस्तकों की तरह इस पुस्तक का भी कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है और उन सभी भाषाओं में इसे सराहा गया है। रॉल्स की यह पुस्तक 37 थियरी ऑफ जस्टिस (न्याय का सिद्धांत) कुल तीन भागों में विभाजित हैं। पहला भाग सिद्धांतिक आधार, दूसरा भाग संस्थाओं पर आधारित हैं और तीसरा भाग शेष दो पुस्तकों को जोड़ता हैं।

यह पुस्तक निम्नलिखित दृष्टिकोण (डिस्ट्रिब्यूटिव जस्टिस) पर आधारित हैं, इसका उद्देश्य समाजिक स्थितियों को समझ पाना हैं ताकि उसके आधार पर न्यायपूर्ण समाज का निर्माण हो सके।

यह प्रश्न उठाती हैं कि "आधिकारिक इंसान" की कल्पना क्या होनी चाहिए? क्या उसे स्वतंत्र होना चाहिए? क्या उसे समान होना चाहिए? क्या उसे स्वतंत्रता व समानता दोनों प्राप्त होनी चाहिए?

यह प्रश्न उठाती हैं कि किसी भी आलोचनात्मक दृष्टि से एक नैतिकतावादी रचना के महत्वपूर्ण होने के लिए सबसे प्रमुख सवाल और क्या चाहिए?

समाज, राजनीति और सिद्धांतों को समझने के लिए यह एक अनिवार्य पुस्तक है।

जॉन रॉल्स, बीसवीं सदी के महत्वपूर्ण विचारक व उदाहरण के दार्शनिक, न्याय और समतावाद के प्रखर समर्थक राजनैतिक विज्ञानी

कमल नयन चौबे, दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर, लेखक और अनुवादक

जॉन रॉल्स & कमल नयन चौबे (प्रस्तावना एवं अनुवाद)

जॉन रॉल्स & कमल नयन चौबे (प्रस्तावना एवं अनुवाद)

जॉन रॉल्स & कमल नयन चौबे (प्रस्तावना एवं अनुवाद)

जॉन रॉल्स & कमल नयन चौबे (प्रस्तावना एवं अनुवाद)

Description

यह पुस्तक बीसवीं सदी में राजनीतिक दर्शन की महानतम कृतियों में से एक है। यह पुस्तक, जिसमें राजनीतिक दर्शन में हस्तक्षेप किया और विमर्श की दिशा को बदल दिया। जिसमें मानवीय राजनीतिक दर्शन के सिद्धांतकारों ने अपने सिद्धांतों से या तो सहमति किया या असहमति। लेकिन रॉल्स के बाद का कोई भी राजनीतिक सिद्धांतकार उनकी इस रचना का अनदेखा न कर सका। रॉल्स के बाद होने वाले राजनीतिक सिद्धांतकारों पर इस पुस्तक का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इस तरह यह पुस्तक आधुनिक नैतिकतावादी दृष्टिकोण से न्याय और समानता पर आधारित विमर्श को कई भाषाओं में प्रेरित करती है।

रॉल्स की अन्य पुस्तकों की तरह इस पुस्तक का भी कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है और उन सभी भाषाओं में इसे सराहा गया है। रॉल्स की यह पुस्तक 37 थियरी ऑफ जस्टिस (न्याय का सिद्धांत) कुल तीन भागों में विभाजित हैं। पहला भाग सिद्धांतिक आधार, दूसरा भाग संस्थाओं पर आधारित हैं और तीसरा भाग शेष दो पुस्तकों को जोड़ता हैं।

यह पुस्तक निम्नलिखित दृष्टिकोण (डिस्ट्रिब्यूटिव जस्टिस) पर आधारित हैं, इसका उद्देश्य समाजिक स्थितियों को समझ पाना हैं ताकि उसके आधार पर न्यायपूर्ण समाज का निर्माण हो सके।

यह प्रश्न उठाती हैं कि "आधिकारिक इंसान" की कल्पना क्या होनी चाहिए? क्या उसे स्वतंत्र होना चाहिए? क्या उसे समान होना चाहिए? क्या उसे स्वतंत्रता व समानता दोनों प्राप्त होनी चाहिए?

यह प्रश्न उठाती हैं कि किसी भी आलोचनात्मक दृष्टि से एक नैतिकतावादी रचना के महत्वपूर्ण होने के लिए सबसे प्रमुख सवाल और क्या चाहिए?

समाज, राजनीति और सिद्धांतों को समझने के लिए यह एक अनिवार्य पुस्तक है।

जॉन रॉल्स, बीसवीं सदी के महत्वपूर्ण विचारक व उदाहरण के दार्शनिक, न्याय और समतावाद के प्रखर समर्थक राजनैतिक विज्ञानी

कमल नयन चौबे, दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर, लेखक और अनुवादक